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RAJU LAKRA

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About The Book

“भाग्य निर्माता”

पुस्तक “भाग्य निर्माता” स्वयं सहायता के लिए लिखी गई है। मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना में से एक है। अर्थात हमारे पास अथाह शक्ति है ।इस किताब में मनुष्य के मस्तिष्क में छुपी हुई अपार शक्ति का दोहन करने के लिए कुछ विशेष तकनीक के बारे में बताया गया है कि वह उसका इस्तेमाल कैसे कर सकता है। यदि इन शक्तियों का दोहन इमानदारी पूर्वक किया जाए तो हर इंसान अपने जीवन को सुख, समृद्धि तथा असाधारण रूप से गढ़ सकता है। इसी से प्रेरित यह किताब का शीर्षक ही है –“भाग्य निर्माता “आप अपने जीवन के रचनाकार खुद हैं। मतलब किसी भी इंसान के जीवन की बागडोर खुद के हाथ में होती है कि उसका निर्माण कैसे करना है। इस किताब में उन खास तथा महत्वपूर्ण बिंदुओं के ऊपर चर्चा किया गया है कि कोई भी व्यक्ति यदि अपने जीवन को बेहतर से बेहतर बनाना चाहे तो उसे क्या करना चाहिए। उसे कैसे सोचना चाहिए तथा कैसे बोलना चाहिए। इंसान अपने कर्म तथा सोच के हिसाब के मुताबिक ही परिणाम पाता है। इसलिए कर्म तथा सोच या विचारों में सामंजस्य होना अति आवश्यक है।अत: कर्म तथा सोच में एकरूपता होना भी जरूरी है। इसलिए इस किताब में विचारों को बदलने के लिए भी कुछ खास तरीके बताए गए हैं।


लेखक को पूर्ण विश्वास है कि इस पुस्तक में बताए गए नियमों का पालन करने पर हरेक पाठक को अधिकतम लाभ जरूर मिलेगा।


शुभकामनाओं सहित।


लेखक


राजू लकड़ा

Raju Lakra



[ ABOUT RAJU LAKRA ]

About

मैं राजू लकड़ामेरा जन्म झारखंड प्रदेश, जिला रांची, प्रखंड बेड़ो ,गांव तुको खूंटी टोली में 8 नवंबर सन् 1988ई में अत्यंत निर्धन परिवार में हुआ था। मेरे पिता स्वर्गीय सोमरालकडा़एक छोटे किसान थे तथा मां गृहिणी हैं। जब मैं मैट्रिक की परीक्षा देने वाला था उसी साल सन् 2006 में मेरे पिता जी का आकस्मिक निधन हो गया। पिता की मृत्यु के बाद आर्थिक हालात पूरी तरह चरमरा गई थी। घर में मेरे अलावे मेरी एक छोटी बहन थी। पिता का साया उठ जाने के बावजूद मैंने अपना पढ़ाई जारी रखा। मैट्रिक के बाद मैं अपने ड्रीम कॉलेज संत जेवियर्स कॉलेज, रांची चला गया ।वहां मैंने पार्ट टाइम जॉब के साथ किसी तरह 2013 में बैचलर डिग्री पूरा कर लिया। लेकिन यह 5 साल मेरे लिए अत्यंत ही संघर्ष का दौर था। पार्ट टाइम जॉब के रूप में मैंने कभी नाइट गार्ड तो कभी डाटा एंट्री तो कभी होटल में वेटर का काम किया। कॉलेज के दिनों में मुझे कई रात फुटपाथ में सोना पड़ा।तोकभी 36 घंटे तक बगैर कुछ खाए भूखे पेट भी रहना पड़ा। कॉलेज हॉस्टल में रहते हुए जब मुझे सन् 2010 में जौंडिस हो गई थी जिसकी वजह से मुझे पार्ट टाइम जॉब छोड़ना पड़ा। उसके बाद मुझे कॉलेज मेंरी एडमिशन के लिए कुछ रास्ता नजर नहीं आ रहा था तो मैंने अपना ब्लड बेचकर री एडमिशन कराया। पुनः सन् 2011 में टाइफाइड नामक बीमारी हो गई थी फिर से एक बार मेरा पार्ट टाइम जॉब छूट गया और दुबारा मैंने फिर ब्लड बेचा और कॉलेज में पुन: री एडमिशन करा लिया।अंततः सन् 2013 में ग्रेजुएट हो गया । मैं 1 साल कॉल सेंटर मेंजॉब किया और बाद में सन् 2014 में रांची यूनिवर्सिटी पॉलीटिकल साइंस डिपार्टमेंट में दाखिला ले लिया।वहां 1 साल पढ़ाई करने के बाद मुझे लगा कि जीवन में नौकरी तो करना है ही नहीं और इसलिए बीच में ही मैंने पढ़ाई छोड़ दी और मैं मल्टी लेवल मार्केटिंग बिजनेस में आ गया। यहां लगातार तीन साल बाद भी कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाया। इसी बीच मैं करीब 8 माह मारुति सुजुकी शोरूम, रांची में सेल्स एग्जीक्यूटिव भी रहा। यहां भी मुझे मन नहीं लगा। सन् 2019 में एक घटना घटने के बाद मैं जीरो पर आ गया था। तो मैंने ₹300 उधार में किसी से पैसे लेकर सेल्समैन के रूप में काम करने लगा और इस बार मुझे कामयाबी मिली। मुझे मिडिल स्कूल के समय से ही पब्लिक के सामने बोलने वाला काम में बहुत रुचि था अतः मैं स्कूल में मोटिवेशनल सेमिनार लेने लगा। परंतु 2020 में लोक डाउन की वजह से लगभग 18 महीने ब्रेक लग गया। लेकिन जैसे ही 2021 में लोक डाउन ओपन होने लगा फिर मैं सेल्समैन के साथ-साथ दिसंबर 2021 में मोटिवेशनल सेमिनार तथा वर्कशॉप भी लॉन्च कर दिया।


कॉलेज के दिनों से हीमेरे दिमाग मेंकिताब लिखने का सपना था।बाद में मैंनेकिताब लिखने का टारगेट सेट कर दिया था कि 2022 में बुक लिखना है और इसी दरमियान नितिन सोनी सर के मेंटरशिप में मैंने अपना पहला किताब लिखने में सफल हो गया।

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